V. S. Achuthanandan निधन: केरल के पूर्व मुख्यमंत्री का 101 साल की उम्र में अंत ,केरल के पूर्व मुख्यमंत्री का निधन |

वीएस अच्युतानंदन की नेट वर्थ और सादगी भरा जीवन
केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वी.एस. अच्युतानंदन का निधन: एक युग का अंत
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101 वर्ष की उम्र में निधन, तिरुवनंतपुरम में अंतिम सांस
केरल की राजनीति के दिग्गज और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-M) के वरिष्ठ नेता वी.एस. अच्युतानंदन (V.S. Achuthanandan) का आज, 21 जुलाई 2025 को तिरुवनंतपुरम स्थित अस्पताल में 101 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्हें 23 जून को दिल का दौरा पड़ा था, जिसके बाद वे अस्पताल में भर्ती थे और पिछले कई दिनों से वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे।

केरल में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित
केरल सरकार ने 22 जुलाई को सार्वजनिक अवकाश और तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। इस दौरान सभी सरकारी कार्यालयों, शिक्षण संस्थानों और सार्वजनिक सेवाओं में कामकाज स्थगित रहेगा। झंडा आधा झुका रहेगा और उनके सम्मान में कई स्थानों पर श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित की जा रही हैं।

अंतिम संस्कार 23 जुलाई को अलप्पुझा में
वी.एस. अच्युतानंदन का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए तिरुवनंतपुरम स्थित ए.के.जी. सेंटर में रखा जाएगा। इसके बाद शव को उनके पैतृक स्थान अलप्पुझा (Alappuzha) ले जाया जाएगा, जहां 23 जुलाई 2025 को अंतिम संस्कार किया जाएगा।

राजनीतिक जीवन की झलक: एक सदी का संघर्ष
वी.एस. अच्युतानंदन का जन्म 20 अक्टूबर 1923 को अलप्पुझा जिले में हुआ था। वे कोयर फैक्ट्री में मजदूर के तौर पर काम करने के बाद ट्रेड यूनियन आंदोलन से जुड़ गए। 1940 के दशक में कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हुए और 1964 में CPI से अलग होकर CPI(M) के संस्थापक नेताओं में से एक बने।

वे 2006 से 2011 तक केरल के मुख्यमंत्री रहे और अपनी ईमानदार छवि, भ्रष्टाचार विरोधी रुख और जनहित कार्यों के लिए प्रसिद्ध रहे। उन्होंने मुनार और अन्य क्षेत्रों में अवैध अतिक्रमण हटवाने के लिए साहसिक अभियान चलाए।

15 वर्षों तक विपक्ष का नेतृत्व
वी.एस. अच्युतानंदन का राजनीतिक करियर बेहद लंबा और प्रभावशाली रहा। वे तीन बार विपक्ष के नेता रहे (1991–1996, 2001–2006 और 2011–2016)। इस प्रकार वे कुल 15 वर्षों तक केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे, जो राज्य की राजनीति में एक रिकॉर्ड है।

जनता में अपार लोकप्रियता
अच्युतानंदन एक ऐसे नेता थे जो आम जनता की आवाज बनते थे। सोशल मीडिया के दौर में भी वे लोकप्रिय रहे। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम उठाए। खासकर युवाओं और वामपंथी विचारधारा से जुड़े कार्यकर्ताओं में वे एक प्रेरणा बने रहे।

विचारधारा और सिद्धांतों पर अडिग
उनकी पहचान एक ऐसे राजनेता के रूप में रही जो अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं करते थे। उन्होंने पार्टी लाइन के विरुद्ध भी कई बार अपनी राय रखी, जिससे उन्हें कई बार आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा। लेकिन वे हमेशा अपने नैतिक मूल्यों पर अडिग रहे।

श्रद्धांजलि संदेशों का तांता
उनके निधन पर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, सोनिया गांधी, सीताराम येचुरी सहित कई बड़े नेताओं ने गहरा शोक व्यक्त किया है। सोशल मीडिया पर #VS_Achuthanandan ट्रेंड कर रहा है और देश भर से लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।