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vs achuthanandan net worth ,एक सादा जीवन जीने वाले करोड़ों के नेता की कहानी पूरी जानकारी hindi me |

वीएस अच्युतानंदन की नेट वर्थ और सादगी भरा जीवन

वी.एस. अच्युतानंदन: करोड़ों की संपत्ति के बावजूद एक सादा जीवन जीने वाले नेता

🧮 वी.एस. अच्युतानंदन की नेट वर्थ: पूरी जानकारी हिंदी में
🧔‍♂️ कौन थे वी.एस. अच्युतानंदन?
वी.एस. अच्युतानंदन (V.S. Achuthanandan) मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-M) के वरिष्ठ नेता और केरल के पूर्व मुख्यमंत्री थे। 1923 में जन्मे अच्युतानंदन ने जीवनभर वामपंथी विचारधारा, ईमानदारी और पारदर्शिता का पालन किया। 101 वर्ष की आयु में 21 जुलाई 2025 को उनका निधन हुआ।newsofindia.live

💰 कुल नेट वर्थ (Net Worth)
बावजूद इसके कि उन्होंने दशकों तक राजनीति में कार्य किया, वी.एस. अच्युतानंदन की कुल संपत्ति बेहद सीमित रही। रिपोर्ट्स के अनुसार:

कुल अनुमानित नेट वर्थ: ₹25 लाख – ₹35 लाख (लगभग)

बैंक बैलेंस: ₹8 लाख (राजनीतिक शपथपत्र 2011 के अनुसार)

चल संपत्ति: एक पुराना मकान, साधारण फर्नीचर, पुस्तकें

कोई निजी वाहन नहीं

निजी जमीन/भवन: पैतृक मकान के अलावा कुछ नहीं

➡️ यह आंकड़े उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान दाखिल चुनावी हलफनामों (affidavits) और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित हैं।

🧘 जीवनशैली: विलासिता से कोसों दूर
वी.एस. अच्युतानंदन ने कभी भी सरकारी सुविधाओं या सत्ता का दुरुपयोग नहीं किया। वे एक सामान्य घर में रहते थे, सादा कपड़े पहनते थे और सरकारी वाहन का भी न्यूनतम प्रयोग करते थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उन्होंने अपना पुराना घर नहीं छोड़ा।newsofindia.live

🏠 संपत्ति की पारदर्शिता
उन्होंने हर चुनाव में अपनी संपत्ति का ईमानदारी से खुलासा किया। उनके द्वारा दिए गए शपथपत्रों से यह साफ होता है कि:

उनके पास कोई कार, स्कूटर या महंगी घड़ी नहीं थी

किताबें और पुराने दस्तावेज ही उनकी सबसे बड़ी पूंजी थीं

जीवनभर किसी भी घोटाले या भ्रष्टाचार में नाम नहीं आया

🧑‍⚖️ विरासत: संपत्ति नहीं, साख छोड़ी
आज जहां राजनेताओं की संपत्ति करोड़ों में है, वहीं अच्युतानंदन ने अपने पीछे सिर्फ एक ईमानदारी और जनसेवा की छवि छोड़ी है। वे उन कुछ गिने-चुने नेताओं में से हैं जिन्हें जनता आज भी सच्चे मन से याद करती है।

📌 निष्कर्ष
वी.एस. अच्युतानंदन की नेट वर्थ भले ही कम रही हो, लेकिन उनकी राजनीतिक और नैतिक पूंजी बेशकीमती थी। उन्होंने सिद्ध कर दिया कि राजनीति सेवा है, व्यापार नहीं।
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